राजस्थान के प्रमुख राजवंश Major Dynasties of Rajasthan
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राजस्थान के प्रमुख राजवंश Major Dynasties of Rajasthan |
परिचय :
राजस्थान के प्रमुख राजवंश:
I. गुहिल/सिसोदिया राजवंश (मेवाड़) - सूर्यवंश का गौरव
गुहिल राजवंश को राजस्थान का सबसे प्राचीन राजवंश होने का गौरव प्राप्त है। इसकी नींव छठी शताब्दी ईस्वी के आस-पास गुहिल (गुहादित्य) द्वारा रखी गई थी। बाद में इस वंश को सिसोदिया राजवंश के नाम से जाना गया।
संस्थापक और उदय: इस वंश के वास्तविक संस्थापक बप्पा रावल (कालभोज) थे, जिन्होंने 8वीं शताब्दी में चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया था। गौरीशंकर हीराचंद ओझा उन्हें विशुद्ध सूर्यवंशीय क्षत्रिय मानते हैं।
प्रमुख शासक और योगदान:
रावल रतन सिंह: चित्तौड़ के पहले 'साका' के लिए जाने जाते हैं।
महाराणा हम्मीर: सिसोदिया शाखा के संस्थापक, जिन्होंने मेवाड़ को पुनः संगठित किया।
महाराणा कुंभा: इन्हें हिंदू सुल्तान (Hindu Sultan) और स्थापत्य कला का जनक कहा जाता है। इन्होंने 84 में से 32 किलों का निर्माण या जीर्णोद्धार कराया, जिसमें कुम्भलगढ़ दुर्ग प्रमुख है। उन्होंने विजय स्तम्भ (Victory Tower) का निर्माण भी करवाया।
महाराणा सांगा: इन्हें हिंदूपत बादशाह कहा जाता था। उन्होंने खानवा के युद्ध में बाबर का सामना किया।
महाराणा प्रताप: स्वतंत्रता और स्वाभिमान के प्रतीक। उन्होंने मुगलों की अधीनता स्वीकार करने के बजाय वन-वन भटकना स्वीकार किया। उनका हल्दीघाटी का युद्ध (1576) भारतीय इतिहास में अमर है।
मेवाड़ के शासक स्वयं को एकलिंग जी (भगवान शिव) का दीवान मानकर शासन करते थे। उनकी राजधानी चित्तौड़गढ़ और बाद में उदयपुर बनी। मेवाड़ का संघर्ष ही वास्तव में राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला था।
II. राठौड़ राजवंश (मारवाड़ और बीकानेर) - चंद्रवंश का शौर्य
राठौड़ राजवंश मुख्य रूप से मारवाड़ (जोधपुर) और बीकानेर क्षेत्रों में स्थापित हुआ। इनकी उत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है, कुछ इन्हें राष्ट्रकूटों (राष्ट्रकूट → राठौड़) के वंशज मानते हैं।
संस्थापक और उदय: राव सीहा को मारवाड़ में राठौड़ वंश का संस्थापक माना जाता है, जिन्होंने 13वीं शताब्दी में अपने राज्य की नींव रखी।
मारवाड़ के प्रमुख शासक:
राव जोधा: इन्होंने 1459 ई. में जोधपुर शहर की स्थापना की और शानदार मेहरानगढ़ किले का निर्माण कराया।
राव मालदेव: इन्हें हिंदू बादशाह कहा जाता था। ये अपने समय के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक थे।
राव चंद्रसेन: इन्हें मारवाड़ का प्रताप या भूला बिसरा राजा कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने भी महाराणा प्रताप की तरह मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की और संघर्ष करते रहे।
महाराजा जसवंत सिंह: ये औरंगजेब के समय के प्रमुख शासक थे, जिन्होंने साहित्य और कला को संरक्षण दिया।
बीकानेर की राठौड़ शाखा: राव जोधा के पुत्र राव बीका ने 1488 ई. में बीकानेर शहर की स्थापना कर एक स्वतंत्र राज्य की नींव रखी।
III. चौहान राजवंश (सांभर, अजमेर और रणथंभौर) - अग्निवंश का प्रताप
चौहान (या चाहमान) राजवंश को अग्निवंशी राजपूतों में गिना जाता है, जिनकी उत्पत्ति अग्निकुंड से मानी जाती है (चंद्रबरदाई के 'पृथ्वीराज रासो' के अनुसार)।
संस्थापक और उदय: वासुदेव चौहान को लगभग 551 ई. में सांभर में चौहान वंश का संस्थापक माना जाता है। उनकी प्रारंभिक राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी।
प्रमुख शासक:
अजयराज: इन्होंने 1113 ई. में अजमेर शहर की स्थापना की और इसे अपनी राजधानी बनाया।
विग्रहराज चतुर्थ (बिसलदेव): ये एक महान विजेता होने के साथ-साथ एक कवि और नाटककार भी थे। उन्होंने हरिकेली नाटक की रचना की और अजमेर में एक संस्कृत पाठशाला (जिसे बाद में अढ़ाई दिन का झोंपड़ा में बदल दिया गया) का निर्माण कराया।
पृथ्वीराज चौहान तृतीय: इन्हें राय पिथौरा के नाम से जाना जाता है। ये चौहान वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे, जिन्होंने मुहम्मद गौरी के साथ तराइन के प्रथम (1191) और द्वितीय (1192) युद्ध लड़े। द्वितीय युद्ध में हार के बाद भारत में मुस्लिम शासन की नींव पड़ी।
अन्य शाखाएँ: चौहानों की अन्य प्रमुख शाखाओं में रणथंभौर के चौहान (हम्मीर देव चौहान), जालौर के सोनगरा चौहान और हाड़ौती (बूंदी-कोटा) के हाड़ा चौहान शामिल थे।
IV. कछवाहा राजवंश (आमेर और जयपुर) - राम के वंशज
कछवाहा राजवंश स्वयं को भगवान श्री राम के पुत्र कुश का वंशज मानता है। इस वंश ने ढूंढाड़ क्षेत्र पर शासन किया, जिसकी राजधानी पहले आमेर और बाद में जयपुर बनी।
संस्थापक और उदय: दुलहराय (तेजकरण) ने 1137 ई. में इस वंश की स्थापना की।
प्रमुख शासक:
भारमल: ये पहले राजपूत शासक थे जिन्होंने मुगलों (अकबर) से वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
मान सिंह प्रथम: ये अकबर के नवरत्नों में से एक थे और एक महान सेनापति थे। इन्होंने कई युद्धों में मुगलों का नेतृत्व किया।
सवाई जय सिंह द्वितीय: ये सबसे प्रसिद्ध शासक थे, जिन्होंने 1727 ई. में सुनियोजित जयपुर शहर की स्थापना की। वे एक महान खगोलशास्त्री थे और उन्होंने दिल्ली, जयपुर सहित 5 स्थानों पर जंतर मंतर (खगोलीय वेधशाला) का निर्माण कराया।
मिर्जा राजा जय सिंह: इन्होंने औरंगजेब के अधीन कार्य किया और शिवाजी के साथ पुरंदर की संधि (1665) की।
V. गुर्जर-प्रतिहार राजवंश (भीनमाल और मंडोर)
गुर्जर-प्रतिहार राजवंश राजस्थान के शुरुआती और सबसे शक्तिशाली राजवंशों में से एक था, जिसने छठी शताब्दी से दसवीं शताब्दी तक पश्चिमी भारत में शासन किया। इनका मुख्य योगदान अरब आक्रमणकारियों को भारत में प्रवेश करने से रोकना था।
संस्थापक: इतिहासकार इस वंश के संस्थापक के रूप में मंडोर शाखा के हरिश्चंद्र और बाद में भीनमाल शाखा के नागभट्ट प्रथम को मानते हैं।
गौरव: प्रतिहार शासकों में मिहिर भोज सबसे शक्तिशाली थे, जिनके साम्राज्य का विस्तार उत्तर भारत में दूर-दूर तक था। इन्हें 'आदिवराह' और 'प्रभास' जैसी उपाधियाँ मिली थीं।
स्थापत्य कला: इन्होंने ओसियां (जोधपुर) और आभानेरी (दौसा) के भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया, जो इनकी कलात्मक प्रतिभा का प्रमाण है।
VI. हाड़ा चौहान राजवंश (बूंदी और कोटा)
चौहानों की एक शाखा जो दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में स्थापित हुई, उसे हाड़ा चौहान कहा गया, और यह क्षेत्र हाड़ौती (हाड़ाओं का क्षेत्र) कहलाया।
संस्थापक: राव देवा ने 13वीं शताब्दी में बूंदी में हाड़ा राज्य की स्थापना की।
कोटा की स्थापना: 17वीं शताब्दी में बूंदी से अलग होकर कोटा को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया, जिसके संस्थापक राव माधो सिंह थे।
योगदान: हाड़ाओं ने तारागढ़ किला (बूंदी) जैसे दुर्गों का निर्माण किया। बूंदी और कोटा की चित्रकला शैलियाँ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शिकार के दृश्यों और पशु-पक्षियों के चित्रण के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
VII. भाटी राजवंश (जैसलमेर)
भाटी राजवंश एक चंद्रवंशी राजपूत शाखा है जिसने पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र पर शासन किया। इनका क्षेत्र थार रेगिस्तान के मध्य में स्थित था।
संस्थापक: रावल जैसल ने 12वीं शताब्दी में जैसलमेर नगर की स्थापना की।
स्थापत्य कला: इन्होंने प्रसिद्ध जैसलमेर दुर्ग (सोनार किला) का निर्माण कराया, जो पीले पत्थरों से बना होने के कारण सूर्य की रोशनी में सोने जैसा चमकता है।
आर्थिक महत्व: भाटी शासकों ने व्यापार मार्गों पर नियंत्रण रखा, जिससे जैसलमेर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बना।
VIII. परमार राजवंश (आबू और मालवा)
परमार राजवंश भी अग्निवंशी राजपूतों में गिना जाता है। इनका मुख्य शासन क्षेत्र मालवा (मध्य प्रदेश) था, लेकिन इनकी शाखाओं ने राजस्थान के आबू (सिरोही) और वागड़ क्षेत्रों पर भी शासन किया।
संस्थापक: उपेंद्र राज को इस वंश का संस्थापक माना जाता है।
योगदान: आबू के परमार शासक कला और धर्म के महान संरक्षक थे। उनके सामंतों और मंत्रियों ने प्रसिद्ध दिलवाड़ा के जैन मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो आज विश्व धरोहर है।
क्र.सं. | राजवंश | क्षेत्र/रियासत | संस्थापक (लगभग) | प्रमुख शासक/योगदान |
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1 | गुहिल / सिसोदिया | मेवाड़ (चित्तौड़, उदयपुर) | गुहिल / बप्पा रावल (6वीं-8वीं सदी) | महाराणा प्रताप, महाराणा कुंभा, महाराणा सांगा। भारत में सबसे लंबे समय तक चलने वाला राजवंश; स्वाभिमान और स्वतंत्रता का प्रतीक। |
2 | राठौड़ | मारवाड़ (जोधपुर), बीकानेर | राव सीहा (13वीं सदी) | राव जोधा (जोधपुर के संस्थापक), राव मालदेव, राव चंद्रसेन। मेहरानगढ़ किला और पश्चिमी राजस्थान की संस्कृति के संरक्षक। |
3 | चौहान | सांभर, अजमेर, रणथंभौर | वासुदेव चौहान (6वीं सदी) | पृथ्वीराज चौहान तृतीय (राय पिथौरा), विग्रहराज चतुर्थ। तराइन के युद्ध; दिल्ली और अजमेर पर प्रारंभिक नियंत्रण। |
4 | कछवाहा | आमेर, जयपुर | दुलहराय (12वीं सदी) | सवाई जय सिंह द्वितीय (जयपुर के संस्थापक), मिर्जा राजा जय सिंह। पिंक सिटी, जंतर मंतर (खगोलीय वेधशाला) का निर्माण। |
5 | गुर्जर-प्रतिहार | भीनमाल, मंडोर (जोधपुर) | नागभट्ट प्रथम / हरिश्चंद्र (6ठी-8वीं सदी) | मिहिर भोज, नागभट्ट प्रथम। 8वीं से 11वीं सदी तक अरब आक्रमणों के विरुद्ध भारत की पश्चिमी सीमा की रक्षा की। |
6 | हाड़ा चौहान | हाड़ौती (बूंदी, कोटा) | राव देवा (बूंदी) / राव माधो सिंह (कोटा) (13वीं-17वीं सदी) | बूंदी में तारागढ़ किला का निर्माण; कोटा और बूंदी की स्थानीय चित्रकला शैली का विकास। |
7 | भाटी राजवंश | जैसलमेर | रावल जैसल (12वीं सदी) | जैसलमेर का सोनार किला (गोल्डन फोर्ट) का निर्माण; पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र की संस्कृति और व्यापारिक मार्गों पर नियंत्रण। |
8 | परमार राजवंश | आबू, वागड़ (डूंगरपुर-बाँसवाड़ा) | उपेंद्र राज (10वीं सदी) | दिलवाड़ा जैन मंदिर (आबू) के निर्माण में योगदान; मध्यकाल में मालवा और दक्षिणी राजस्थान पर प्रभाव। |
FAQ:
Q1: राजस्थान के सबसे पुराने और सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजवंश का नाम क्या है? A: राजस्थान का सबसे पुराना और सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश गुहिल/सिसोदिया राजवंश (मेवाड़) है, जिसकी स्थापना छठी शताब्दी ईस्वी के आस-पास हुई थी।
Q2: किस शासक ने जोधपुर शहर और मेहरानगढ़ किले की स्थापना की थी? A: जोधपुर शहर और मेहरानगढ़ किले की स्थापना राठौड़ राजवंश के शासक राव जोधा ने 1459 ईस्वी में की थी।
Q3: पृथ्वीराज चौहान तृतीय को किस अन्य नाम से जाना जाता था और उनका संबंध किस वंश से था? A: पृथ्वीराज चौहान तृतीय को राय पिथौरा के नाम से जाना जाता था। उनका संबंध चौहान राजवंश से था, जिन्होंने दिल्ली और अजमेर पर शासन किया।
Q4: जयपुर के 'पिंक सिटी' कहलाने में किस राजवंश का योगदान है? A: जयपुर की स्थापना कछवाहा राजवंश के शासक सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी, लेकिन इसे 1876 में महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय द्वारा प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत के लिए गुलाबी रंग में रंगवाया गया था, जिससे यह 'पिंक सिटी' कहलाया।
Q5: किस राजपूत शासक को 'हिंदूपत बादशाह' के नाम से जाना जाता था? A: मेवाड़ के महाराणा सांगा को 'हिंदूपत बादशाह' के नाम से जाना जाता था, जिन्होंने राजपूत राज्यों को एक छत्र के नीचे लाने का प्रयास किया था।
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