राजस्थान के मंदिर Rajasthan ke mandir

राजस्थान के मंदिर Rajasthan ke mandir
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राजस्थान के मंदिर  Rajasthan ke mandir --

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 मंदिर      
   
स्थान    
   
विशेष विवरण   
   
अजमेर    
   
    
   
    
   
 ब्रह्मा   मंदिर   
   
पुष्कर   
   
    
   
 सावित्री   जी का मंदिर   
   
अजमेर   
   
    
   
 सोनी   जी की नसिया   
   
 अजमेर   
   
 निर्माता= मूलचंद   सोनी,  मूलतः यह ऋषभदेव जी का   मंदिर है।,   इसका लाल पत्थरों से निर्माण   हुआ है लाल मंदिर कहते हैं।   
   
 वराह   मंदिर   
   
 पुष्कर   
   
    
   
 नौ   ग्रहों का मंदिर   
   
 किशनगढ़ अजमेर   
   
    
   
 अलवर   
   
    
   
    
   
 नीलकंठ   महादेव मंदिर    
   
  राजगढ़ अलवर   
   
 निर्माता= अजय   पाल   
   
 नारायणी   माता जी का मंदिर   
   
 राजगढ़ अलवर   
   
 नारायणी माता जी नाइयों   की कुलदेवी है।   
   
 पांडुपोल   मंदिर   
   
 अलवर   
   
    यह हनुमान जी की  शयन   मुद्रा में मूर्ति स्थापित है।   
   
 भर्तृहरि   जी का मंदिर   
   
 सरिस्का अलवर   
   
    
   
  चूरू   
   
    
   
    
   
 तिरुपति   बालाजी का मंदिर   
   
 सुजानगढ़ चूरू   
   
इसे वेंकटेश्वर मंदिर भी करते हैं।   
   
सालासर हनुमान जी का मंदिर   
   
 सालासर चुरु   
   
 आसोटा गांव में हल चलाते   समय एक किसान को दाढ़ी मूछ युक्त हनुमान जी की मूर्ति मिली। इसे सिद्ध हनुमंत पीठ   भी कहते हैं।   
   
गोगाजी का मंदिर   
   
 ददरेवा चुरु   
   
    
   
जयपुर   
   
    
   
    
   
 कल्कि   मंदिर   
   
 जयपुर   
   
 संसार का    एकमात्र   कल्कि मंदिर।   
   
 शीला   देवी जी का मंदिर   
   
 आमेर किले में   
   
 इसे सुहाग मंदिर भी कहते   हैं। इसका निर्माण  मानसिंह प्रथम ने करवाया।शीला   देवी जी की मूर्ति मानसिंह बंगाल  के    राजा केदार से लाए थे।यहां शराब का भोग लगता है।   
   
 जगत   शिरोमणि मंदिर   
   
 आमेर   
   
 इसका निर्माण मानसिंह   की रानी कनकावती ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में करवाया। की प्रतिमा चित्तौड़गढ़   से लाई गई जिसकी पूजा मीरा  बचपन में    करती थी अतः  इस मंदिर कोमीरा मंदिर   भी कहते हैं।    
   
गणेश जी का मंदिर   
   
 मोती डूंगरी जयपुर   
   
    
   
गोविंद देव जी का मंदिर   
   
जयपुर   
   
 मथुरा के राजा वज्रनाभ   ने अपनी माता से सुने गए भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप के आधार पर तीन विग्रह का निर्माण   करवाया। श्री गोविंद देव जी का मुख , श्री गोपीनाथ जी का वक्ष तथा श्री मदन मोहन   जी के चरण श्री कृष्ण के स्वरूप से मेल खाते हैं। औरंगजेब के डर से इन तीनों विग्रहों   को जयपुर में स्थापित किया गया। बाद में करौली के राजा ने तृतीय विग्रह मदन मोहन   जी को मांग कर अपने यहां स्थापित किया। गोविंद देव जी को जयपुर का शासक माना गया।   
   
बिरला मंदिर / लक्ष्मी   नारायण मंदिर   
   
 जयपुर   
   
 यह हिंदू, ईसाई   व मुस्लिम डिजाइन से बना हुआ राज्य का एकमात्र मंदिर है।   
   
बृहस्पति देव जी का मंदिर   
   
 दुर्गापुरा    जयपुर   
   
 राजस्थान का एकमात्र बृहस्पति   जी का मंदिर।   
   
 हिंगलाज   माता का मंदिर    
   
आमेर का किला   
   
 यह प्रथम आदि शक्ति पीठ   है।   
   
 शाकंभरी   मंदिर   
   
 सांभर जयपुर   
   
 शाकंभरी माता जी चौहानों   की कुलदेवी है।   
   
 ज्वाला   माता जी का मंदिर   
   
 जोबनेर जयपुर   
   
 ज्वाला माता जी खंगारोतोंकी   कुलदेवी है।   
   
 उदयपुर      
   
    
   
    
   
जगदीश मंदिर   
   
पिछोला झील के किनारे   
   
 निर्माता= जगत   सिंह।  विष्णु भगवान के इस मंदिर   को सपनों से बना मंदिर भी कहते हैं।   
   
 एकलिंग   जी का मंदिर    
   
    
   
निर्माता=   बप्पा रावल। एकलिंग जी मेवाड़ के शासकों के कुलदेवता / इष्ट   देवता है।
   
 (हारित ऋषि ) यहां   एक गाय हमेशा अपने दूध की धारा प्रवाहित करती थी। मेवाड़ के शासक एकलिंग जी को अपना   शासक तथा स्वयं को उनका दीवान मानते  है।      
   
मीरा मंदिर   
   
    
   
 यह एकलिंग जी के मंदिर   के पास स्थित है।   
   
अंबिका देवी जी का मंदिर      
   
जगत, उदयपुर   
   
 मेवाड़ का खजुराहो। राजस्थान   का दूसरा खजुराहो।   
   
 सास   बहू   /  सहस्त्रबाहु   का मंदिर   
   
 नागदा उदयपुर    
   
    
   
ऋषभदेव जी का मंदिर   
   
 उदयपुर   
   
    
   
जालौर   
   
    
   
    
   
 सुंधा   माता जी का मंदिर   
   
 जालौर    
   
यह राजस्थान का प्रथम रोप वे में बनाया गया है।   
   
श्री मंदिर / सिरे   मंदिर   
   
 जालौर   
   
    
   
 आशापुरा    महोदरा माताजी का मंदिर   
   
जालौर   
   
 आशापुरा माताजी सोनगरा   चौहानों की कुलदेवी है।   
   
    
   
भीनमाल जालौर   
   
 यहां देश का सबसे बड़ा   जैन मंदिर है,   जहां   72 जिनालय हैं ।   
   
बाड़मेर   
   
    
   
    
   
 किराडू   के मंदिर    
   
बाड़मेर   
   
 इसे रणछोड़ जी का मंदिर, खेड़िया   बाबा व भूरिया बाबा जी का मंदिर भी कहते हैं। इसे राजस्थान का खजुराहो व मूर्तियों   का खजाना कहा जाता है। किसका प्राचीन नाम किरातकूप है।   
   
मल्लिनाथ जी का मंदिर   
   
 तिलवाड़ा बाड़मेर   
   
    
   
 ब्रह्मा   जी का मंदिर   
   
 बालोतरा बाड़मेर   
   
 राजस्थान में ब्रह्मा   जी का दूसरा मंदिर।    
   
हल्देश्वर महादेव जी का   मंदिर   
   
 पीपलूद बाड़मेर   
   
 राजस्थान का मिनी माउंट   आबू   
   
पाली    
   
    
   
    
   
रणकपुर जैन मंदिर / चोमुखा   जैन मंदिर    
   
 रणकपुर पाली   
   
 निर्माता= कुंभा   के मंत्री धरणक शाह । इसका शिल्पी देपाक था। इसमें आदिनाथ जी की चौमुखी मूर्ति स्थापित   है। इसमें 1444 खंबे   है। अतः इसे खंभों का अजायबघर कहा जाता है । इससे चतुर्मुख जिनप्रासाद भी कहते हैं   ।   
   
 स्वर्ण   मंदिर   
   
 फालना पाली   
   
    
   
 जोधपुर   
   
    
   
    
   
सचिया माता जी का मंदिर   
   
 ओसियां जोधपुर   
   
 यह ओसवालों की कुलदेवी   है।    
   
33 करोड़ देवी देवताओं की चादर   
   
 मंडोर जोधपुर   
   
    
   
 जैसलमेर   
   
    
   
    
   
 तनोट   माता जी का मंदिर    
   
 तनोट जैसलमेर   
   
 सेना के जवानों की देवी /     रुमाल वाली देवी /  थार   की वैष्णो देवी   
   
बाबा रामदेव जी का मंदिर   
   
 रामदेवरा जैसलमेर   
   
    
   
बीकानेर    
   
    
   
    
   
करण माताजी का मंदिर   
   
 देशनोक बीकानेर   
   
 चूहों का मंदिर।   
   
 कपिल    मुनि का मंदिर   
   
 कोलायत बीकानेर   
   
कपिल मुनि सांख्यशास्त्र के रचयिता है।   
   
 भांडासर    जैन मंदिर   
   
 बीकानेर   
   
 इसकी नियम में 40,000 मण    घी डाला गया था।   
   
 नागणेची   माता का मंदिर   
   
बीकानेर   
   
 नागणेची माता राठौड़ों   की कुलदेवी है।   
   
हेरंब गणपति मंदिर   
   
 बीकानेर   
   
सिंह   पर सवार गणेश जी के  एकमात्र मूर्ति।   
   
राजसमंद   
   
    
   
    
   
 श्रीनाथ   जी का मंदिर   
   
नाथद्वारा, राजसमंद   
   
 श्रीनाथजी की मूर्ति औरंगजेब   के आतंक से दामोदर तिलकायत द्वारा वृंदावन से राजसमंद लाई गई। श्रीनाथजी की मूर्ति   जहा स्थापित होती है,   वह स्थान द्वारा कहलाता है। जय स्थान नाथद्वारा कर लाया ।   
   
 द्वारकाधीश   मंदिर   
   
 कांकरोली राजसमंद   
   
 यह मंदिर    वैष्णव   / वल्लभ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है।    
   
सिरोही   
   
    
   
    
   
 अचलेश्वर   महादेव मंदिर    
   
माउंट आबू    
   
यहां शिवलिंग की जगह एक खड्डा है जो ब्रह्म खड्डा कहलाता है मान्यता   है कि यह  खड्डा पाताल तक जाता है।   यहां पर शिव जी की प्रतिमा के स्थान पर पैर का अंगूठा है   
   
वशिष्ठ जी का मंदिर   
   
 माउंट आबू   
   
 यहां वशिष्ट जी ने यज्ञ   किया था जिसकी अग्नि से चार व्यक्ति चौहान चालुक्य परमार एवं प्रतिहार उत्पन्न हुए।      
   
अंबिका देवी/ अर्बुदा/ अर्बुदा / अधर   देवी जी का मंदिर   
   
सिरोही   
   
    
   
 रसिया   बालम व  कुंवारी   कन्या जी का मंदिर   
   
 माउंट आबू   
   
     मान्यता के अनुसार आबू के राजा ने घोषणा की थी कि जो भी एक रात   में आबू पर्वत पर झील का निर्माण करेगा उसके साथ में वह अपनी पुत्री का विवाह करेंगे।   तब रसिया बालम नामक व्यक्ति ने एक रात में नक्की झील की खुदाई कर दी किंतु राजकुमारी   का विवाह उसके साथ नहीं किया गया। इस पर रसिया बालम में जहर का प्याला पी लिया।    
   
दिलवाड़ा के जैन मंदिर   
   
  माउंट आबू सिरोही   
   
यहां पांच मंदिर स्थित है जिनमें सबसे प्रसिद्ध आदिनाथ मंदिर/ विमलशाही   मंदिर है। आदिनाथ मंदिर के बारे में कर्नल टॉड ने कहा- भारत   देश के भवनों में ताजमहल के बाद यदि कोई भवन है तो वह विमल शाह का मंदिर है।   
   
 देवरानी   जेठानी का मंदिर   
   
 सिरोही    
   
    
   
डूंगरपुर    
   
    
   
    
   
सोमनाथ जी का मंदिर   
   
 डूंगरपुर   
   
 सोम नदी किनारे होने के   कारण सोमनाथ नाम पड़ा   
   
 गवरी   बाई का मंदिर   
   
 डूंगरपुर   
   
वागड़ की मीरा   
   
बेणेश्वर धाम   
   
 डूंगरपुर   
   
 सोम माही जाखम नदियों   के संगम पर स्थित। आदिवासियों का कुंभ।   
   
 बांसवाड़ा   
   
    
   
    
   
 छींछ   का ब्रह्मा जी का मंदिर   
   
छींछ - बांसवाड़ा   
   
 ब्रह्मा जी का तीसरा मंदिर      
   
त्रिपुरा सुंदरी माता   जी का मंदिर   
   
 तलवाड़ा बांसवाड़ा   
   
यहां तुरताई माता के 18 हाथ है। इसकी गिनती प्राचीन शक्तिपीठों   में होती है।   
   
 अर्थुना   के मंदिर    
   
अर्थुना बांसवाड़ा   
   
    
   
 घोटिया   अंबा का मंदिर   
   
 बांसवाड़ा   
   
    
   
प्रतापगढ़   
   
    
   
    
   
 भंवर   माता का मंदिर   
   
 छोटी सादड़ी प्रतापगढ़      
   
    
   
चित्तौड़गढ़   
   
    
   
    
   
 कुंभ   श्याम मंदिर    
   
    
   
 जीर्णोद्धार = महाराणा   कुंभा। यह विष्णु मंदिर है।    
   
श्रृंगार चंवरी    
   
 चित्तौड़गढ़ दुर्ग   
   
मान्यता   है कि यह महाराणा कुंभा की पुत्री रमा के विवाह की श्रृंगार चंवरी है अर्थात विवाह   स्थली है।   
   
 मातृकुंडिया   मंदिर   
   
 राशमी गांव चित्तौड़गढ़   
   
 यह शिव जी का मंदिर है।   इसे मेवाड़ का हरिद्वार/   मेवाड़ का प्रयास भी कहा जाता है।    
   
कालिका माता जी का मंदिर   
   
 चित्तौड़गढ़   
   
    
   
 मीरा   मंदिर   
   
 चित्तौड़गढ़   
   
    
   
 बाडोली   का शिव मंदिर   
   
 रावतभाटा चित्तौड़गढ़   
   
    
   
 भीलवाड़ा      
   
    
   
 यहां एक टकसाल थी जिसमें   बिलाड़ी नाम के  सिक्के डाले जाते थे अतः   भीलवाड़ा नाम पड़ा   
   
तिलस्वा महादेव मंदिर   
   
 भीलवाड़ा   
   
 यहां पर    चर्म में कुष्ठ रोगियों को लाभ मिलता है।   
   
सवाई भोज मंदिर   
   
 आसींद भीलवाड़ा   
   
 निर्माता= महाराणा   कुंभा   
   
  कोटा
   
    
   
    
   
    
   
विभीषण जी का मंदिर   
   
 कैथून कोटा   
   
 भारत का एकमात्र विभीषण   मंदिर।   
   
  बांरा   
   
    
   
    
   
 भंडदेवरा   मंदिर   
   
 रामगढ़ बांरा   
   
 राजस्थान का मिनी खजुराहो / हाड़ोती   का खजुराहो   
   
 राम   लक्ष्मण मंदिर   
   
 सीताबाड़ी    
   
    
   
ब्राह्मणी माता जी का   मंदिर   
   
 सोरसेन बांरा   
   
 एकमात्र मंदिर जहां देवी   जी की पीठ की पूजा होती है    
   
 झालावाड़      
   
    
   
    
   
 शीतलेश्वर   महादेव/   चंद्रमौलीश्वर महादेव मंदिर   
   
 झालरापाटन   
   
 राजस्थान का प्राचीनतम   मंदिर, जिस   पर तिथि 689 अंकित   है।   
   
 सूर्य   मंदिर   
   
 झालरापाटन   
   
 राजस्थान का सबसे प्राचीन   सूर्य मंदिर जिसमें सूर्य भगवान घुटने तक जूते पहने हुए हैं।   
   
 सात   सहेलियों का मंदिर   
   
 झालावाड़   
   
    
   
 सवाई   माधोपुर    
   
    
   
    
   
त्रिनेत्र गणेश जी का   मंदिर    
   
 रणथंबोर   
   
 यहां त्रिनेत्र गणेश जी   की प्रतिमा में हाथ शरीर आयुध व अन्य अवयव नहीं है।   
   
भरतपुर   
   
    
   
भरतपुर जिले का नाम राम जी के भाई भरत के   नाम पर पड़ा।   
   
 लक्ष्मण   जी का मंदिर   
   
 भरतपुर   
   
 राजस्थान का एकमात्र लक्ष्मण   जी का मंदिर।   
   
उषा मंदिर   
   
 डीग भरतपुर   
   
    
   
 गंगा   माता जी का मंदिर   
   
 भरतपुर   
   
    
   
 धौलपुर      
   
    
   
    
   
 मचकुंड   तीर्थ   
   
 धौलपुर    
   
तीर्थों का भांजा   
   
  सीकर   
   
    
   
    
   
 जीण   माता जी का मंदिर   
   
 रेवासा सीकर   
   
    
   
 हर्ष   भैरव मंदिर   
   
 हर्ष की पहाड़ी सीकर   
   
    
   
 खाटू   श्याम जी का मंदिर   
   
 खाटू गांव सीकर   
   
 मान्यता है कि अर्जुन   के पुत्र बर्बरीक की गर्दन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले उतार ली थी   और वरदान दिया था कि कलयुग में तुम्हारी पूजा मेरे रूप में होगी। खाटू श्याम जी मंदिर   में बर्बरीक की पूजा की जाती है।   
   
 झुंझुनू   
   
    
   
    
   
 रानी   सती माता जी का मंदिर   
   
 झुंझुनू   
   
 रानी सती माता जी का वास्तविक   नाम नारायणी बाई था इनका विवाह  तनधनदास के साथ हुआ था।   इनके परिवार में   13 स्त्रियां  सती हुई।   
   
लोहार्गल मंदिर   
   
 झुंझुनू   
   
 यहां पांडवों ने अपने   हथियार छुपाए थे।   
   
 नागौर      
   
    
   
    
   
कैवाय माताजी का मंदिर   
   
 किरण सरिया नागौर    
   
    

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Hey there! myself Rahul Kumawat . I post articles about psychology, Sanskrit, Hindi literature, grammar and Rajasthan GK ..

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